अहमदाबाद की रथयात्रा 2025: एक भव्य धार्मिक उत्सव

हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया के दिन आयोजित होने वाली अहमदाबाद की रथयात्रा न सिर्फ गुजरात बल्कि पूरे भारत के प्रमुख धार्मिक आयोजनों में से एक है। यह रथयात्रा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की भव्य शोभायात्रा होती है, जो अहमदाबाद शहर के ह्रदय से गुजरती है। 2025 में यह रथयात्रा आज निकाली जाएगी। अहमदाबाद की रथयात्रा 2025  एक भव्य धार्मिक उत्सव

रथयात्रा का इतिहास :

अहमदाबाद की रथयात्रा की शुरुआत वर्ष 1878 में हुई थी, जब जमालपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों ने पुरी (उड़ीसा) की रथयात्रा की परंपरा को गुजरात में शुरू किया। तब से यह आयोजन लगातार हर वर्ष श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। समय के साथ यह यात्रा गुजरात की संस्कृति का अहम हिस्सा बन चुकी है।

रथयात्रा का मार्ग :

रथयात्रा जमालपुर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर से शुरू होती है और लगभग 18 किलोमीटर का सफर तय करती है। यह यात्रा शहर के प्रमुख इलाकों से गुजरती है जैसे:

जमालपुर

शाहपुर

कालुपुर

दरियापुर

दिल्हीचकला

सरसपुर (जहां भगवान को ‘भात’ चढ़ाया जाता है)

और अंत में वापसी मंदिर तक।

इस दौरान हजारों श्रद्धालु भगवान की झलक पाने और रथ खींचने के लिए उमड़ पड़ते हैं।

रथयात्रा की खास बातें :

  1. झांकियाँ और सजावट :

इस अवसर पर अनेक सांस्कृतिक झांकियाँ, अखाड़ों की प्रस्तुति, हाथी, ऊँट और सजाए गए रथ यात्रा को रंगीन बनाते हैं।

2. महाआरती और प्रसाद वितरण :

यात्रा के दौरान कई स्थानों पर भव्य आरती और प्रसाद वितरण का आयोजन होता है।

3. सुरक्षा व्यवस्था :

चूँकि लाखों श्रद्धालु यात्रा में भाग लेते हैं, प्रशासन की ओर से भारी सुरक्षा व्यवस्था की जाती है। पुलिस, ड्रोन कैमरे और मेडिकल टीमें हर मोर्चे पर तैनात रहती हैं।

4. भात प्रसंग :

सरसपुर पहुंचकर भगवान को ‘भात’ (भोजन) अर्पित किया जाता है, जो इस यात्रा का विशेष और भावनात्मक क्षण होता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व :

अहमदाबाद की रथयात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भक्ति, सेवा, एकता और परंपरा का प्रतीक बन चुकी है। यह वह समय होता है जब सभी वर्गों के लोग बिना भेदभाव के एक साथ आते हैं और भगवान की सेवा में लग जाते हैं।

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निष्कर्ष :

अहमदाबाद की रथयात्रा 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत का उत्सव भी है। यदि आप कभी इस यात्रा का हिस्सा नहीं बने हैं, तो इस वर्ष इसका अनुभव अवश्य करें। रथ के साथ कदम मिलाकर चलना और भगवान के दर्शन करना एक आध्यात्मिक सुख की अनुभूति देता है।

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